कुंडली के 12 भावों में गुरु चांडाल योग का प्रभाव? कैसे बनता है गुरु चांडाल योग ? Guru Chandal Yog के उपाय?

गुरु चांडाल दोष

जन्म कुंडली में चांडाल योग का निर्माण कैसे होता है?

जब जन्म कुंडली के किसी भी भाव में ब्रहस्पति और राहु की युति बन जाती है तो गुरू चांडाल नामक योग का निर्माण होता है। इस योग को गुरु चांडाल योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि ब्राहस्पति ग्रह को गुरु भी कहा जाता है। आसान भाषा में बताये तो जब गुरु और राहु कुंडली के 12 घरों में से किसी भी  घर में एक साथ विराजमान हो जाये तो गुरु चांडाल नामक योग का निर्माण होता है। 

क्या गुरु चांडाल योग राहु की दृष्टि से भी बनता है?

जी जब ब्राहस्पति ग्रह के ऊपर राहु की दृष्टि पड़ती है तो भी समस्या गुरु चांडाल योग जैसी ही होती है लेकिन उसका प्रभाव थोड़ा कम होता है। दृष्टि से उतने भूरे फल जीवन में नहीं दिखते जीतने राहु और गुरु की युति से मिलते है, लेकिन अगर आपकी जन्म कुंडली में राहु की दृष्टि गुरु पर है तो आपको इसकी शांति के उपाय पूर्ण रूप से जरूर करने चाहिए। 


आपकी जन्म गुरु चांडाल योग कमजोर है  या घातक ?

जन्म कुंडली में गुरु चांडाल योग कमजोर है या घातक यह जानने के लिए हमे यह देखना पड़ेगा की चांडाल योग किस भाव में बन रहा है और राहु और गुरु में से कौनसा ग्रह मजबूत है, किस ग्रह की डिग्री मजबूत है। 

गुरु चांडाल योग से होने वाले प्रभाव?

जैसा की आप सब को भी पता होगा की जन्म कुंडली में गुरु का बहुत महत्व है और गुरु हमको  जीवन में हमे बहुत सारे सुख देता है। गुरु ग्रह  हमे  ज्ञान, तरक्की, अच्छी सेहत और एक अच्छी सोच विचार वाली बुद्धि प्रदान करता है जिसका इस्तमाल करके हम अपनी ज़िंदगी को सरल बनाते है परंतु जब यह गुरु की युति राहु के साथ हो जाती है तो सभी प्रभावों में अशुभता आ जाती है। जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह दोष बनता  है वो अपने गुरुओ का अदर नहीं करता और अपनी उग्र वाणी से माता -पीता का भी दिल दुखाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में बहुत सारे ऐसे कार्य  करता है जो उसके लिए ठीक सिद्ध नहीं होते और ऐसे व्यक्ति में गुस्सा और अहंकार आ जाता है जो उसका जीवन बर्बादी की तरफ ले जाता है, इसलिए गुरु चांडाल योग शुभ नहीं माना जाता। अब जानते है की अलग अलग भाव में गुरु चांडाल योग का क्या प्रभाव होता है। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के प्रथम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के प्रथम भाव यानि लग्न में बन रहा है तो ऐसा जातक जीवन में अस्थिर रहता है। प्रथम भाव में चांडाल योग बनने के कारण जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते है। अगर चांडाल योग मजबूत हो जाये तो ऐसा जातक जीवन में धर्म को महत्व नहीं देता और नास्तिक बन जाता है। व्यक्ति अपने आप को ज्ञानी समझने लगता है। अगर ऐसे लोगों के जीवन में धन आगमन की बात करे तो इस विषय में यह भाग्यशाली होते है। ऐसा जातक जीवन में बहुत धन अर्जित करता है परंतु ऐसे व्यक्ति के व्यक्तित्व पर प्रश्नचिन लग जाता है। अगर गुरु चांडाल योग में गुरु की स्तिथि अच्छी हो तो व्यक्ति जीवन में बहुत तरक्की करता है और बुद्धिमान बन जाता है। 

गुरु चांडाल योग कुंडली के द्वितीय भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के द्वितीय भाव में बन रहा है और गुरू कमजोर अवस्था में और राहु बलवान है तो धन हानी होने की संभावना बनेगी और ऐसा जातक नशे करना भी शुरू करदेता है। ऐसे जातक का मन अशांत रहता है और परिवार में भी अशान्ति रहती है। इसके विपरीत अगर गुरु मित्र राशि में है और बहलवान है तो ऐसा जातक जीवन में धन और सुख की प्राप्ति करेगा। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के तृतीय भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के तृतीय भाव में बन रहा है और राहु गुरु ग्रह से अधिक बलवान है तो ऐसा जातक गलत कार्यों में लगकर अपना जीवन बर्बाद करदेता है। अगर गुरु बहलवान होता है तो ऐसा जातक बहुत पराक्रमी हो जाता है। गुरु के बहलवान होने से जातक कला के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है और अच्छा लेखक बनता  है। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के चतुर्थ भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में बन रहा है तो ऐसे जातक की माता  को जीवन में कष्ट रहता है, ऐसे व्यक्ति को उसके पूरे जीवन में अपने परिवार का पूर्ण साथ नहीं मिल पाता। यहा गुरु और राहु की युति में अगर गुरु राहु से अधिक बलवान और मित्र राशि में हो तो जातक की बुद्धि बहुत तेज हो जाती है और जीवन सुखी व्यतीत होता है। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के पंचम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के पंचम भाव में बन रहा है तो आपकी शिक्षा में रुकावट आ सकती है और आपकी संतान किसी गलत कार्य में पड़कर जीवन बर्बाद कर सकते है और आपकी संतान को किसी वजह से  कष्ट भी रह सकता है। आपका मन अशांत रहेगा और कई समस्या आएगी, गुरु के बलवान होने से समस्या थोड़ी कम होगी। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के षष्टम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के षष्टम  भाव में बन रहा है तो आपके बहुत सारे शत्रु बन जायेगे जो आपको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगे और आपका स्वास्थ्य थोड़ा खराब रहना शुरू हो जायेगा, कमर दर्द से संबंधित समस्या आपको आनी  शुरू हो जाएगी, इससे विपरीत अगर गुरु राहु से बलवान हो तो ऐसा जातक का स्वास्थ्य ठीक रहेगा लेकिन कुछ समस्याए फिर भी परेशान करती रहेगी। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के सप्तम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के सप्तम भाव में बन रहा है तो आपके गुस्से के कारण आपके शादी शुदा जीवन में समस्या आएगी। अगर आप एक व्यापारी है और सांझेदारी में व्यापार कर रहे है तो आपको सांझेदारी में भी समस्या आएगी। आपका जीवनसाथी भी आपका साथ नहीं देगा और उसका स्वभाव और बर्ताव भी आपके साथ ठीक नहीं रहेगा। अगर गुरु राहु से अधिक कमजोर है तो समस्या और बढ़ जाएगी। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के अष्टम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के अष्टम  भाव में बन रहा है तो आपको जीवन में अचानक दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है और चोट लगने का भी खतरा बना रहता है। अगर आपकी जन्म कुंडली में भी राहु और गुरु की युति है तो आप वाहन धीरे चलाए। अष्टम में गुरु चांडाल होने की वजह से अचानक समस्या आती है और ससुराल पक्ष के साथ भी सम्बन्ध ठीक नहीं रहते। 

गुरु चांडाल योग कुंडली के नवम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के नवम  भाव में बन रहा है तो आपको बहुत समस्याओ को सामना करना पड  सकते है क्योंकि नवम भाव में राहु और गुरु की युति से पितृ दोष का भी निर्माण होता है। जिस भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह युति नवम भाव में होती है उसके सम्बन्ध पीता और पुत्र के साथ खराब रहते है। ऐसे जातक के पिता को भी कष्ट रहता है। नवम  भाव  में गुरु चांडाल योग होने से व्यक्ति धर्म में कम रुचि रखता है। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के दशम भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के दशम भाव में बन रहा है तो आपको अपने व्यवसाय के चुनाव में दिक्कत आएगी और साथ ही कार्य क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायेगे। जीवन में कोई मुकाम हासिल करने में भी रुकावट आती है। जिस जातक की जन्म कुंडली में गुरु राहु की युति बनती है उसमे नैतिक साहस की भी कमी होती है। अगर इस युति में राहु कमजोर और गुरु भलवान है तो आने वाली समस्या में थोड़ी राहत मिलेगी।  


गुरु चांडाल योग कुंडली के एकादश भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के एकादश भाव में बन रहा है तो जातक जीवन में धन तो अर्जित करता है लेकिन गलत तरीके से। ऐसे जातक को सिर्फ धन से मतलब होता है चाहे राह सही हो या बुरा  इससे कोई फरक नहीं पड़ता। ऐसे जातक अधिकतम गलत संगत में पड़कर अपनी ज़िंदगी को गलत दिशा में ले जाते है। अगर इस युति में राहु कमजोर हो तो प्रभाव कम होता है। 


गुरु चांडाल योग कुंडली के द्वादश भाव में?

अगर गुरु चांडाल योग जन्म कुंडली के द्वादश भाव में बन रहा है तो ऐसा जातक अपनी कमाई से  बढ़कर खर्च करता है और ऐसे जातक को जीवन में शयन सुख की भी प्राप्ति भी नहीं होती। पैसों का अधिक खर्च होने के कारण जीवन में पैसों की कमी भी रहती है। अगर राहु गुरु से अधिक बलवान हो तो प्रभाव बहुत भूरे फल मिलएगे लेकिन अगर गुरु अधिक बलवान है तो समस्या कम होगी। 

गुरु चांडाल योग की शांति के लिए असरदार उपाय:

1.अपने माता -पिता और गुरुओ को सम्मान करें। 
2.गुरुवार को पीली चीज़े  दान में दें।
3.प्रत्येक सोमवार को शिव लिंग पर दूध चढ़ाए। 
4.अपने माथे पर चंदन लगाने से भी आपको लाभ मिलेगा। 
5.हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करना भी समस्या से समाधान मिलेगा। 
6.पीली चीजे दान में देने से भी आपको लाभ मिलेगा, पीली दाल , पीले वस्त्र, केले, सोना आदि। 
7.किसी बरगद के पेड़ की जड़ में दूध डालने से भी लाभ मिलेगा। 
8.चंदन का तिलक माथे पर लगाएगे तो भी परेशानी से राहत मिलेगी। 

 

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